ढ़ती गर्मी से लोग परेशान हैं. कई लोग अपने घर में इस भीषण गर्मी से बचने के लिए एसी का सहारा ले रहे हैं. ऐसे में कई बार एसी की हवा लोगों के लिए खतरनाक साबित भी हो रही है. जिला अस्पताल में भी हर दिन ऐसे 5 से 7 मरीज आ रहे हैं, जो धूप में अचानक चक्कर खाकर गिर रहे हैं. जब अस्पताल पहुंच रहे हैं तो पता चल रहा है इसका कारण उनका बीपी है. वहीं डॉक्टर बताते हैं कि एसी की हवा बीपी के मरीज से ज्यादा शुगर के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. शुगर के पेशेंट अगर एसी में बैठने के बाद अचानक बाहर कड़ी धूप में जाते हैं, तो ऐसे में उनके ‘ब्रेन स्ट्रोक’ या ‘इस्केमिक स्ट्रोक’ (लकवा) का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए शुगर के मरीजों को खास ध्यान रखने की जरूरत है.
एसी से तुरन्त निकल कर धूप में जाने पर बॉडी का टेंपरेचर बिगड़ता है. ऐसी सिचुएशन में बॉडी का टेंपरेचर बनाए रखना बेहद जरूरी है. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सतीश नायक न्यूरो सर्जन बताते हैं कि बीपी के मरीज जब एसी में बैठे होते हैं, तो नसें सिकुड़ जाती हैं और जब वह अचानक निकलकर गर्मी में पहुंचते हैं तो नसें फैलती हैं और खून का प्रवाह तेज होता है. जिससे दिमाग की नसें पतली होती हैं. फिर वहां ब्लड सही से नहीं पहुचता है. ऐसे में बॉडी का टेंपरेचर मेंटेन न होने के वजह से ब्रेन स्ट्रोक की संभावनाएं बढ़ जाती है. वहीं शुगर के मरीजों का खून गाढ़ा होता है. गर्मी में उनकी नसें फैली होती हैं और जब वह एसी में आकर बैठते हैं या तत्काल ठंडे पानी से नहा लेते हैं तो खून गाढ़ा होने की वजह से मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में नहीं जा पाता. इस वजह से ‘इस्केमिक स्ट्रोक’ का खतरा बढ़ जाता है. इसका इफेक्ट हृदय तक जा सकता है.
गर्मी के मौसम में एसी की हवा और धूप सबसे ज्यादा बीपी और शुगर के मरीजों को इफेक्ट करती है. जो नुकसानदायक हो सकता है. एसी से निकलकर तुरंत धूप में जाना और धूप से एसी में आना शरीर के तापमान को बिगाड़ता है. यह हृदय रोग से लेकर ‘ब्रेन स्ट्रोक’ तक की कई समस्याओं को उत्पन्न कर सकता है. डॉक्टर बताते हैं कि एसी में जाने से पहले 5 मिनट बाहर खड़ा हो जाए और बॉडी का टेंपरेचर मेंटेन कर लें वहीं जब एसी से धूप में जाने पर भी 5 मिनट बाहर खड़े हो जाए, इसके बाद काम पर जाएं.